अगर कहा जाये कि भारत और पाकिस्तान में से कोनसा देश अधिक बलवान है तो बेशक जवाब होगा भारत, लेकिन अगले वर्षो में यह जवाब बदल जायगा। आपको बता दे कि एशिया में पाकिस्तान अब एक नया वर्चस्व हासिल करने वाला है, और इसकी वजह है चीन और पाकिस्तान में बन रहे चाइना पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर(सीपीईसी)। जो की एशिया का स्वरूप ही बदल देगा, और इस बदले सवरूप का सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तान को होगा, और ये बात भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
पाकिस्तान को अब एशिया का नया टाइगर कहा जा सकता है। सीपीईसी में चीन लगभग 75 बिलियन डॉलर खर्च करेगा, इसमें से 45 मिलियन डॉलर 2020 तक खर्च कर सीपीईसी का रुट ऑपरेशनल तौर पर शुरू कर दिया जायगा। सीपीईसी 3218 किलोमीटर लंबा रुट होगा, जिसके पूरे होने में लगभग 15 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। इसे हाइवे, रेलवे व पाइपलाइन के जरिये चीन के शिनजंग से लेकर पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक जोड़ा जायगा। 2017 तक ग्वादर इंटरनेशनल पोर्ट का निर्माण कर लिया जायगा और उससे सम्बंधित कार्य पूरे कर लिए जायगे। काराकोरम हाइवे के विस्तार से चीन व पाकिस्तान आपस में जुड़ जायगे। कहा जा रहा है चीन का ये अब तक का विदेश में सबसे बड़ा निवेश है। इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान के लगभग 7 लाख लोगो को रोजगार मिलेगा और पाकिस्तान की विकास दर लगभग ढाई फ़ीसदी बढ़ जायगी। सीपीईसी प्रोजेक्ट में लगे चीनी नागरिको की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी लगे हुए है, क्योकि तहरीक-ए-तालिबान(टीटीपी), अलकायदा और जुनदुल्लाह ने इस प्रोजेक्ट में रूकावट लाने की धमकी दी है
* पाकिस्तान के छक्के छुड़ा सकता है भारत
अगर भारत सिंधु जल संधि को खत्म कर दे तो पाकिस्तान की जान हलक में आ जायगी, पाक व भारत की इस संधि के तहत 80 फ़ीसदी पानी ले रहा है। जब दोनों देशो में बँटवारा हुआ तो सिंधु नदी का उद्गम क्षैत्र भारतीय सीमा के अंदर और नदी का बड़ा भाग( बेसिन) पाकिस्तान में रह गया। इस समझोते के अनुसार सिंधु नदी का लगभग 80 फीसदी पानी पाकिस्तान के हिस्से में और लगभग 20 फ़ीसदी भारत में रह जाता है। अगर भारत भी चीन की तरह अपनी ज़िद पर आ जाये और संधि को खत्म कर दे तो पाकिस्तान की हालत बद् से बद्तर हो जायगी, तब रखा रह जायगा सीपीईसी।